18-01-06   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“संकल्प, समय और बोल के बचत की स्कीम द्वारा सफलता की सेरीमनी मनाओ निराश आत्माओं में आशा के दीप जगाओ”

आज स्नेह का दिन है। चारों ओर के सभी बच्चे स्नेह के सागर में समाये हुए हैं। यह स्नेह सहजयोगी बनाने वाला है। स्नेह सर्व अन्य आकर्षण से परे करने वाला है। स्नेह का वरदान आप सभी बच्चों को जन्म का वरदान है। स्नेह में परिवर्तन कराने की शक्ति है। तो आज के दिन दो प्रकार के बच्चे चारों ओर देखे। लवली बच्चे तो सभी हैं लेकिन एक हैं लवली बच्चे दूसरे हैं लवलीन बच्चे। लवलीन बच्चे हर संकल्प, हर श्वांस में, हर बोल, हर कर्म में स्वत: ही बाप समान सहज रहते हैं, क्यों? बच्चों को बाप ने समर्थ भव का वरदान दिया है। आज के दिन को स्मृति सो समर्थ दिवस कहते हो, क्यों? बाप ने आज के दिन स्वयं को बैकबोन बनाया और लवलीन बच्चों को विश्व की स्टेज पर प्रत्यक्ष किया। व्यक्त में प्रत्यक्ष बच्चों को किया और स्वयं अव्यक्त रूप में साथी बने। आज का यह स्मृति सो समर्थ दिवस बच्चों को बालक सो मालिक बनाए सर्व शक्तिवान बाप को मास्टर सर्वशक्तिवान बन प्रत्यक्ष करने का कार्य दिया और बाप देखके खुश है कि यथायोग तथा शक्ति सभी बच्चे बाप को प्रत्यक्ष करना अर्थात् विश्व कल्याण कर विश्व परिवर्तन करने के कार्य में लगे हुए हैं। बाप द्वारा सर्वशक्तियों का वर्सा जो मिला हुआ है वह स्व प्रति और विश्व की आत्माओं के प्रति कार्य में लगा रहे हैं। बापदादा भी ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान बाप समान उमंग-उत्साह में रहने वाले आलराउण्ड सेवाधारी, नि:स्वार्थ सेवाधारी, बेहद के सेवाधारी बच्चों को पदम-पदमगुणा दिल से मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। देश-विदेश, देश के बच्चे भी कम नहीं और विदेश के बच्चे भी कम नहीं हैं। बापदादा ऐसे बच्चों की दिल ही दिल में महिमा भी करते और गीत भी गाते वाह ! बच्चे वाह ! आप सभी वाह ! वाह ! बच्चे हो ना। हाथ हिला रहे हैं, बहुत अच्छा। बापदादा को फखुर है, बच्चों के ऊपर फखुर है- सारे कल्प में ऐसा कोई बाप नहीं है जिसका हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा हो। आप सभी तो स्वराज्य अधिकारी राजा हो ना? प्रजा तो नहीं ना। कई बच्चे जब रूहरिहान करते हैं तो कहते हैं हम भविष्य में क्या बनेंगे, उसका चित्र हमको दिखाओ। बापदादा क्या कहते हैं? पुराने बच्चे तो कहते हैं जगतअम्बा माँ चित्र देती थी हर एक को। तो हमें भी चित्र दो। बापदादा कहते हैं हर एक बच्चे को बाप ने विचित्र दर्पण दिया है, उस दर्पण में अपने भविष्य का चित्र देख सकते हो कि मैं कौन। जानते हो, वह दर्पण आपके पास है? जानते हो कौन सा दर्पण? पहली लाइन वाले तो जानते होंगे ना। जानते हैं? वह दर्पण है वर्तमान समय की स्वराज्य स्थिति का दर्पण। वर्तमान समय जितना स्वराज्य अधिकारी हैं उस अनुसार विश्व के राज्य अधिकारी बनेंगे। अब अपने आपको दर्पण में देखो स्वराज्य अधिकारी सदा हैं? वा कभी अधीन, कभी अधिकारी? अगर कभी अधीन, कभी अधिकारी बनते हैं, कभी आँख धोखा देती, कभी मन धोखा देता, कभी मुख धोखा देता, कभी कान भी धोखा दे देता है। व्यर्थ बातें सुनने का शौक हो जाता है। अगर कोई भी कर्मेन्द्रिय धोखा देती है, परवश बना देती है, इससे सिद्ध है कि बाप द्वारा जो सर्व शक्तियाँ वरदान में मिली हैं, वा वर्से में मिली हैं वह कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर नहीं है। तो सोचो जो स्व के ऊपर रूल नहीं कर पाते वह विश्व पर रूल कैसे करेगा? अपने वर्तमान स्थिति के स्वराज्य अधिकारी के दर्पण में चेक करो। दर्पण तो सभी को मिला है ना? दर्पण मिला है तो हाथ उठाओ। दर्पण में कोई दाग तो नहीं हो गया है? स्पष्ट है दर्पण?

बापदादा ने हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी का स्वमान दिया है। मास्टर सर्वशक्तिवान का टाइटिल सभी बच्चों को बाप द्वारा मिला हुआ है। मास्टर शक्तिवान नहीं, सर्वशक्तिवान। कई बच्चे रूहरिहान में यह भी कहते - बाबा आपने तो सर्वशक्तियाँ दी लेकिन यह शक्तियाँ कभी-कभी समय पर काम नहीं करती। रिपोर्ट करते हैं - समय पर इमर्ज नहीं होती, समय बीत जाता है पीछे इमर्ज होती हैं। कारण क्या होता? जिस समय जिस शक्ति को आह्वान करते हो उस समय चेक करो कि मैं मालिक बनके सीट पर सेट हूँ? अगर कोई सीट पर सेट नहीं होता तो बिगर सीट वाले का कोई आर्डर नहीं मानता है। स्वराज्य अधिकारी हूँ, मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, बाप द्वारा वर्सा और वरदान का अधिकारी हूँ, इस सीट पर सेट होकर फिर आर्डर करो। क्या करूं, कैसे करूं, होता नहीं, सीट से नीचे बैठ, सीट से उतरकर आर्डर करते हो तो मानेगा कैसे! आजकल के जमाने में भी अगर कोई प्राइममिनिस्टर है, सीट पर है, और सीट से उतर गया, तो कोई मानेगा? तो चेक करो सीट पर सेट हूँ? अधिकारी होकर आर्डर करता हूँ? बाप ने हर एक बच्चे को अथॉरिटी दी है, परमात्म अथॉरिटी है, कोई आत्मा की अथॉरिटी नहीं मिली है, महात्मा की अथॉरिटी नहीं मिली है, परमात्म अथॉरिटी है तो अथॉरिटी और अधिकार इस स्थिति में स्थित होकर कोई भी शक्ति को आर्डर करो, वह जी हजूर, जी हजूर करेगी। सर्वशक्तियों के आगे यह माया, प्रकृति, संस्कार, स्वभाव सब दासी बन जायेंगे। आप मालिक का इन्तजार करेंगे, मालिक कोई आर्डर करो।

समर्थ दिवस है ना, तो बापदादा क्या-क्या समर्थियाँ हैं बच्चों में, वह रिवाइज करा रहा है। अण्डरलाइन करा रहा है। शक्तिहीन समय पर क्यों हो जाते? बापदादा ने देखा है, मैजारिटी बच्चों की लीकेज है, शक्तियाँ लीकेज होने के कारण कम हो जाती हैं और लीकेज विशेष दो बातों की है - वह दो बातें हैं- संकल्प और समय वेस्ट जाता है। खराब नहीं होता लेकिन व्यर्थ, समय पर बुरा कार्य नहीं करते हैं लेकिन जमा भी नहीं करते हैं। सिर्फ देखते हैं आज बुरा कुछ नहीं हुआ लेकिन अच्छा क्या जमा किया? गँवाया नहीं लेकिन कमाया? दु:ख नहीं दिया लेकिन सुख कितनों को दिया? अशान्त किसको नहीं किया, शान्ति का वायब्रेशन कितना फैलाया? शान्तिदूत बनके शान्ति कितनों को दी - वायुमण्डल द्वारा या मुख द्वारा, वायब्रेशन द्वारा? क्योंकि जानते हो कि यही थोड़ा सा समय है पुरूषोत्तम कल्याणकारी जमा करने का समय है। अब नहीं तो कब नहीं, यह हर घड़ी याद रहे। हो जायेगा, कर लेंगे..... अब नहीं तो कब नहीं। ब्रह्मा बाप का यही तीव्रगति का पुरूषार्थ रहा तब नम्बरवन मंज़िल पर पहुंचा। तो जो बाप ने समार्थियां दी हैं, आज समर्थ दिवस पर याद आई ना! बचत की स्कीम बनाओ। संकल्प की बचत, समय की बचत, वाणी की बचत, जो यथार्थ बोल नहीं हैं, अयथार्थ व्यर्थ बोल की बचत। बापदादा सभी बच्चों का सदा अथॉरिटी की सीट पर सेट हुआ स्वराज्य अधिकारी राजा रूप देखने चाहता है। पसन्द है? यह रूप पसन्द है ना! कभी भी बापदादा किसी भी बच्चे को टी.वी. में देखो, तो इसी रूप में देखे। बापदादा की नेचरल टी.वी. है, स्विच नहीं दबाना पड़ता। एक ही समय पर चारों ओर का देख सकते हैं। हर एक बच्चे को, कोने-कोने वाले को देख सकते हैं। तो हो सकता है? कल से टी.वी. खोलें तो क्या दिखाई देंगे? फरिश्ते की ड्रेस में, फरिश्ते की ड्रेस है चमकीली ड्रेस, चमकीली लाइट की ड्रेस, यह शरीरभान के मिट्टी की ड्रेस नहीं पहनना। चमकीली ड्रेस हो, सफलता का सितारा हो, ऐसी मूर्ति हर एक की बापदादा देखने चाहते हैं। पसन्द है ना! मिट्टी की ड्रेस पहनेंगे तो मिट्टी के हो जायेंगे ना। जैसे बाप अशरीरी है, ब्रह्मा बाप चमकीली ड्रेस में है, फरिश्ता है। फालो फादर। स्थूल में देखो कोई आपके कपड़े में मिट्टी लग जाए, दाग हो जाए तो क्या करते हो? बदल लेते हो ना! ऐसे ही चेक करो कि सदा चमकीली फरिश्ते की ड्रेस है? जो बाप को फखुर है कि हर एक बच्चा राजा बच्चा है, उसी स्वरूप में रहो। राजा बनके रहो। यह माया ऐसे आपकी दासी बन जायेगी और विदाई लेने आयेगी, आधाकल्प के लिए विदाई लेने आयेगी, वार नहीं करेगी। बापदादा सदा कहते हैं - बाप के ऊपर बलिहार जाने वाले कभी हार नहीं खा सकते। अगर हार है तो बलिहार नहीं हैं।

अभी आप सभी की मीटिंग होने वाली है ना, डेट फिक्स होती है ना मीटिंग की। तो इस बारी सिर्फ सर्विस के प्लैन की मीटिंग बापदादा नहीं देखने चाहते, सर्विस के प्लैन बनाओ लेकिन मीटिंग में सफलता की सेरीमनी का प्लैन बनाओ। बहुत सेरीमनी कर ली अब सफलता की सेरीमनी की डेट फिक्स करो। चलो सोचते हैं कि सभी कैसे होंगे! बापदादा कहते हैं कम से कम 108 रत्न तो सफलतामूर्त की सेरीमनी मनायें। एक्जैम्पुल बनें। यह हो सकता है? बोलो। पहली लाइन वाले बोलो, हो सकता है? जवाब देने की हिम्मत नहीं रखते। सोचते हैं पता नहीं करेंगे, नहीं करेंगे? हिम्मत से सब कुछ हो सकता है। दादी बतावें। 108 सफलतामूर्त बन सकते हैं? (हाँ जरूर बन सकते हैं, सफलता की सेरीमनी हो सकती है) देखो, दादी में हिम्मत है। आप सबकी तरफ से हिम्मत रख रही है। तो सहयोगी बनना। तो यह जो मीटिंग होगी ना, उसमें बापदादा रिपोर्ट लेंगे। पाण्डव बताओ ना, क्यों चुप हैं? चुप क्यों हैं? यह हिम्मत क्यों नहीं रखते? करके दिखायेंगे? ऐसे? अच्छा है, हिम्मत तो रख सकते हैं? जो समझते हैं हम तो हिम्मत रख करके दिखायेंगे, वह हाथ उठाओ। करेंगे? कोई संस्कार नहीं रहेगा? कोई कमज़ोरी नहीं रहेगी? अच्छा, मधुबन वाले भी हाथ उठा रहे हैं। वाह ! मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा 108 तो फिर सहज हो जायेगा। इतनों ने हाथ उठाया तो 108 क्या बड़ी बात है। डबल फॉरेनर्स क्या करेंगे? हाँ, दादी जानकी सुन रही है, उसको उमंग आ रहा है मैं बोलूं। फॉरेन की माला भी देखेंगे, ठीक है? हाथ उठाओ, ठीक है? अच्छा आज यह कितने बैठे हैं? (200) इसमें से 108 तो तैयार हो जायेंगे! ठीक है ना। इसमें करना पहले मैं। इसमें दूसरे को नहीं देखना, पहले मैं। और मैं-मैं नहीं करना, यह मैं जरूर करना। और भी काम बापदादा देता है।

आज समर्थ दिवस है ना तो समर्थता है। बापदादा एक विचित्र दीवाली मनाने चाहते हैं। आपने तो दीवाली कई बार मनाई है लेकिन बापदादा विचित्र दीवाली मनाने चाहता है, सुनायें? सुनायें? सुनायें? अच्छा। वर्तमान समय को तो देख ही रहे हो, दिन प्रतिदिन चारों ओर मनुष्य आत्माओं में निराशा बहुत बढ़ रही है। तो चाहे मन्सा सेवा करो, चाहे वाचा करो, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क की करो, लेकिन बापदादा निराश मनुष्यों के अन्दर आशा का दीप जगाने चाहते हैं। चारों ओर मनुष्य आत्माओं के मन में आशा के दीपक जग जायें। यह दीवाली आशा के दीपकों की बापदादा चाहते हैं। हो सकता है? वायुमण्डल में कम से कम यह आशा का दीपक जग जाए तो अब विश्व परिवर्तन हुआ कि हुआ। गोल्डन सवेरा आया कि आया। यह निराशा खत्म हो जाए - कुछ होना नहीं है, कुछ होना नहीं है। आशा के दीप जग जाएं। कर सकते हैं ना, यह तो सहज है ना या मुश्किल है? सहज है? जो करेगा वह हाथ उठाओ। करेगा? इतने सभी दीपक जगायेंगे तो दीपमाला तो हो जायेगी ना! वायब्रेशन इतना पावरफुल करो, चलो सामने पहुँच नहीं सकते हैं लेकिन लाइट हाउस, माइट हाउस बन दूर तक वायब्रेशन फैलाओ। जब साइन्स लाइट हाउस द्वारा दूर तक लाइट दे सकती है तो क्या आप वायब्रेशन नहीं फैला सकते! सिर्फ दृढ़संकल्प करो- करना ही है। बिजी हो जाओ। मन को बिजी रखेंगे तो स्वयं को भी फायदा और आत्माओं को भी फायदा। चलते-फिरते यही वृत्ति में रखो कि विश्व का कल्याण करना ही है। यह वृत्ति वायुमण्डल फैलायेगी क्योंकि समय अचानक होने वाला है। ऐसा न हो कि आपके भाई बहिनें उलाहना देवें कि आपने हमें बताया क्यों नहीं! कई बच्चे सोचते हैं अन्त तक कर लेंगे लेकिन अन्त तक करेंगे तो भी आपको उलाहना देंगे। यही उलाहना देंगे हमको कुछ समय पहले बताते, कुछ तो बना लेते। इसलिए हर संकल्प में बापदादा की याद से लाइट लेते जाओ, लाइट हाउस होके लाइट देते जाओ। टाइम वेस्ट नहीं करो, बापदादा जब देखते हैं बहुत युद्ध करते हैं, तो बापदादा को अच्छा नहीं लगता। मास्टर सर्वशक्तिवान और युद्ध कर रहा है! तो राजा बनो, सफलतामूर्त बनो, निराशा को खत्म कर आशा के दीप जगाओ। अच्छा। सभी तरफ के बच्चों के स्नेह के याद की मालायें तो बहुत पहुँच गई हैं। बापदादा याद भेजने वालों को सन्मुख देखते हुए याद का रेसपान्ड दिल की दुआयें, दिल का प्यार दे रहे हैं। अच्छा - अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न कर्नाटक का है, कर्नाटक वालों ने 5 मेगा प्रोग्राम किये हैं:- अच्छा, बहुत आये हैं। अच्छा मेगा प्रोग्राम किया, मुबारक हो। लेकिन हर एक मेगा प्रोग्राम से स्टूडेन्ट कितने बनें? वह रिजल्ट निकाली है? क्योंकि मेगा प्रोग्राम सन्देश देने के लिए तो अच्छा है, उलाहना नहीं मिलेगा। एक काम तो ठीक हो गया। लेकिन मेगा प्रोग्राम के बाद एड्रेस तो होती है ना! जिन भी आत्माओं की एड्रेस है उनको समय प्रति समय बुलाते रहो। सेवा करते रहो, अपने ही सेन्टर पर क्योंकि जोन में तो नहीं हो सकता है, वहाँ की वहाँ तो आ सकते हैं। उनमें से निकलेंगे। कर्नाटक की संख्या तो बहुत है। अच्छा है। सेवा की है तभी संख्या बढ़ी है लेकिन अब ऐसा गुलदस्ता बनाओ जो माइक और माइट बन सन्देश देने में साथी बन जाएँ। ऐसे कोई ग्रुप तैयार करो। सभी मैजारिटी बड़े बड़े जोन वालों ने मेगा प्रोग्राम किया है लेकिन यह समाचार नहीं आया है कि कौन से ऐसे माइक निकले जो सन्देश देने में मददगार बने हैं। क्योंकि विश्व की आत्मायें अभी भी बहुत रही हुई हैं। तो जितनी संख्या है, कर्नाटक की, हर एक स्थान पर कुछ तो ऐसी लिस्ट होनी चाहिए ना! होनी चाहिए ना! तो वह बापदादा के पास नाम आने चाहिए। रिजल्ट आनी चाहिए। मधुबन में लेकर नहीं आओ, पहले रिपोर्ट लिखकर दो कितने कितने निकले है, किस-किस प्रकार के हैं। चाहे फॉरेन में हों, चाहे देश में हो। अच्छा है। प्रोग्राम किये उसकी मुबारक है। अभी ऐसी लिस्ट भेजना, हर एक सेन्टर ऐसी लिस्ट भेजे। ठीक है ना! अच्छा है, अभी कर्नाटक में कुछ कमाल करके दिखाओ। हर सेन्टर निर्विघ्न स्वराज्य अधिकारी बन सकता है? हो सकता है? तीन मास दिये हैं, तो निर्विघ्न, सिर्फ तीन मास के लिए नहीं, सदाकाल के लिए विघ्न समाप्त। अगर संस्कार संकल्प में इमर्ज भी कब हो, वहाँ ही खत्म कर दो। कर्म में, बोल में नहीं आवे। तो ऐसी रिजल्ट दिखायेंगे – कर्नाटक नम्बरवन निर्विघ्न। करेंगे? करना पड़ेगा। एक दो के सहयोगी बनकर मदद देकर भी बनाना पड़ेगा क्योंकि दो चार भी अगर निर्विघ्न नहीं बनें तो सर्टीफिकेट कैसे मिलेगा। कर्नाटक निर्विघ्न का सर्टीफिकेट तो नहीं मिलेगा ना। इसीलिए सहयोगी बन, एक दो को हिम्मत दिलाके करना पड़ेगा। तैयार हैं? टीचर्स तैयार हैं? करना पड़ेगा? देखो टी.वी. में आ रहा है। सब कर्नाटक की टीचर्स हाथ उठा रही हैं। अच्छा देखेंगे। पहली मुबारक तो दे रहे हैं और आगे देखेंगे। ठीक है ना। पीछे आगे वाले करना पड़ेगा। अपने संस्कार को इमर्ज नहीं करने देना। संकल्प में ही परिवर्तन कर देना। अच्छा है। संख्या जितनी है उतना बहुत कुछ कर सकते हैं। अच्छा है गोल्डन चांस लिया है सेवा का, तो थोड़े दिनों में बहुत अपना पुण्य जमा किया है। यज्ञ सेवा अर्थात् पुण्य का खाता जमा करना। तो अच्छे हिम्मत रख करके आये हैं और आगे भी हिम्मत रखते आगे बढ़ते रहेंगे।

मेडिकल विंग:- कोई नया प्लैन बनाया? नया प्लैन कोई बनाया? (स्वास्थ्य में मूल्यों को कैसे बढ़ायें) (उसके बारे में सारा वर्ष प्रोग्राम करेंगे) अभी प्लैन बनाया है, अभी प्रैक्टिकल करना है। इससे भी सन्देश पहुँचता है ना। अच्छा हिम्मत वाले हो ना। जो भी आये हैं सिर्फ मीटिंग नहीं की, प्रैक्टिकल करना ही है। और आप लोगों का तो डबल फायदा है। डबल दुआयें मिलती हैं। तन ठीक होता है उसकी भी दुआयें, और मन खुश होता है तो उसकी भी दुआयें। सभी में उमंग है ना! बहुत अच्छा। अच्छा है। मेडिकल में वह हार्ट का भी अच्छा चल रहा है। अब बाम्बे के हॉस्पिटल की भी रिपोर्ट अच्छी है। ऑटोमेटिक वी.आई.पी. आते रहते हैं क्योंकि पहले समझते थे ब्रह्माकुमारियाँ सोशल वर्क नहीं करती हैं, अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियाँ जो काम करती हैं उसकी रिजल्ट बहुत अच्छी निकलती है। जब से ग्लोबल हॉस्पिटल खुली है आबू में, तब से यह वायुमण्डल में फर्क आया है। आबू वाले भी बदल रहे हैं। तो अच्छा है, आपकी डिपार्टमेंट चाहे कोई स्थूल काम भी करते हो, दवाई देने का, लेकिन यह सेवा फैल रही है कि ब्रह्माकुमारियाँ डबल काम कर सकती हैं। तो अच्छा कर रहे हैं, करते रहना। कोने कोने में अपने मेडिकल द्वारा भी सबके मन में खुशी, आशा का दीपक जगाते चलो। अच्छा है, मुबारक है।

एज्युकेशन विंग:- यह विधि अच्छी बनाई है, मिलना भी हो जाता है। कनेक्शन भी हो जाती है। अच्छा है, बापदादा ने समाचार सुना था, धीरे-धीरे एज्युकेशन में भी चांस मिलता रहता है और करते रहते हैं। अभी ऐसा अच्छा कोई प्रूफ लो, जहाँ भी सेवा करते हो वहाँ का ऐसा एक्जैम्पुल स्पष्ट हो जो और देशों में भी उसकी रिजल्ट देख करके बढ़ाते रहें। एज्युकेशन और मेडीसिन दोनों ही बहुत जरूरी होती हैं। बापदादा ने तो देखा है हर वर्ग अपने वर्ग में अच्छी सेवा कर रहे हैं। हिम्मत रख रहे हैं। सहयोगी भी बन रहे हैं लेकिन अभी और थोड़ा तीव्र करो क्योंकि समय समीप आ रहा है। हर वर्ग की अपनी-अपनी विशेषता है। कम से कम अभी यह तो उल्हना उतरा कि हमारे वर्ग को आपने सन्देश ही नहीं दिया। अभी विस्तार बढ़ता जायेगा। तो अच्छा एज्युकेशन से गवर्मेन्ट का बोझ तो उतरेगा ना। यूथ ग्रुप अच्छा हो जाए तो गवर्मेन्ट भी कहेगी कि हमारे साथी तो बने हैं। अच्छा कर रहे हैं, मुबारक हो और आगे करना। अच्छा।

जो पहले बारी आये हैं वह उठो : अच्छा है, हर टर्न में देखा है मैजारिटी नये होते हैं। तो सर्विस बढ़ाई है ना, इतनों को सन्देश दिया है। जैसे आप लोगों को सन्देश मिला ऐसे आप भी और दुगना, दुगना सन्देश दो। योग्य बनाओ। अच्छा है। हर सबजेक्ट में और उमंग-उत्साह से आगे बढ़ो। अच्छा है। अच्छा - अभी लक्ष्य रखो, चलते-फिरते चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा सेवा के बिना भी नहीं रहना है और याद के बिना भी नहीं रहना है। याद और सेवा सदा ही साथ है ही। इतना अपने को बिजी रखो, याद में भी सेवा में भी। खाली रहते हैं तो माया को आने का चांस मिलता है। इतना बिजी रहो जो दूर से ही माया हिम्मत नहीं रखे आने की। फिर जो लक्ष्य रखा है बाप समान बनने का वह सहज हो जायेगा। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, स्नेही स्वरूप रहेंगे। अच्छा। आज के दिन तो स्नेह उड़ाके लाया है। स्नेह का प्लेन कितना फास्ट है? तो स्नेह में उड़के आये हैं और स्नेह में उड़ते रहना और उड़ाते रहना। बापदादा चारों ओर के बच्चों को देख रहे हैं, सभी के मन में इस समय 100 परसेन्ट उमंग-उत्साह है, करके दिखायेंगे। कोई बड़ी बात नहीं है, होना ही है। लेकिन इस समय का उमंग-उत्साह और दृढ़ संकल्प सदा साथ रखना।

बापदादा के नयनों में समाये हुए नूरे रत्न बच्चे, बाप की सर्व प्रापर्टी के अधिकारी श्रेष्ठ आत्मायें बच्चे, सदा उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ने वाले और उड़ाने वाले महावीर महावीरनियां बच्चे, एक बाप ही संसार है इस लगन से मगन रहने वाले लवलीन बच्चों को, लवलीन बनना अर्थात् बाप समान सहज बनना। तो लवली और लवलीन दोनों बच्चों को बहुत-बहुत पदम-पदमगुणा यादप्यार और नमस्ते। अच्छा

दादी जी से:- आपकी हिम्मत देखकर बापदादा भी खुश है। शरीर का हिसाब शरीर खत्म कर रहा है। आप हिम्मत में उड़ रही हो। ठीक है। (दादियों से) आप लोग भी बहुत सभी को हिम्मत दिलाने के निमित्त हो। आपको देख करके सभी को यह उमंग आता है तो हम भी कर सकते हैं। तो अच्छा निमित्त बने हुए हो। (मोहिनी बहन से) निमित्त हो ना। (ईशू दादी से) साथ निभाने में नम्बरवन हैं। (मुन्नी बहन) जितना बाप से प्यार है ना उतना यज्ञ से भी बहुत प्यार है। अच्छा सम्भाल रही हो। भरपूर यज्ञ है, सदा भरपूर रहेगा। अच्छा। (निर्मलशान्ता दादी से, कलकत्ता वालों ने फूलों का बहुत अच्छा श्रंगार किया है) गद्दी की मालिक हो ना। अच्छी। शरीर की मालिक बनके चल रही हो। शरीर को चलाना, यह सीख गई हो। आपकी शक्ल सेवा कर रही है। अच्छा है। ग्रुप भी अच्छा है। सेवा का उमंग है, दिल है। यज्ञ का श्रृंगार हो जाता है ना। और जो दिल से करता है ना, उसका वायब्रेशन फैलता है। फूलों से भी वायब्रेशन आता है। सबको उमंग उत्साह का वायब्रेशन आता है। तो अच्छा करते हैं और बापदादा ने देखा है हर वर्ष अच्छे से अच्छा करते हैं, उमंग से करते हैं, इसकी मुबारक हो। अच्छा याद से करते हो। रेसपान्ड दिया ना। याद भेजी थी ना। वैसे तो बहुतों ने याद भेजी है, जो भी मिलता है, कहता है हमारी याद देना। सन्देशी को देते रहते हैं हमारी याद देना। तो जिन्होंने याद भेजी, उन्हों को बापदादा नाम से पर्सनल याद का रेसपान्ड दे रहा है। अच्छे हैं और अच्छे रहेंगे और अच्छे ते अच्छा बनाते रहेंगे। जो सभी बैठे हैं सब याद दे रहे हैं और सबको याद मिल रही है। (अमेरिका से अंकल, आंटी ने भी याद भेजी है) आज के दिन तो एक-एक बच्चे की एक-एक शहर से यादप्यार मिली है। कोई भी ऐसा देश नहीं है जिन्होंने यादप्यार नहीं भेजी हो। अच्छा।